Hindi, asked by Sristi1417, 1 year ago

क्या सोशल मीडिया का पारिवारिक संबंधों पर असर पड़ता है। debate

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Answered by Mihirmishra015
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मौजूदा समय में इंटरनेट की दुनिया में पैठ बना चुका हर व्यक्ति आज किसी न किसी सोशल नेटवर्किंग साइट से जुड़ा है। इसमें कोई संशय नहीं है सोशल मीडिया का मंच आज अभिव्यक्ति का नया और कारगर माध्यम बन चुका है। इससे जुड़े लोग बेबाकी से अपनी राय इस मंच के माध्‍यम से जाहिर करते हैं। हालांकि, सोशल मीडिया के प्रति बढ़ती दीवानगी जहां कई मायनों में सार्थक नजर आती है, वहीं इसके दुरुपयोग के मामले में भी सामने आते रहते हैं। 

बीते समय में सांप्रदायिक हिंसा, दंगों, अफवाह फैलाने के मामले में सोशल मीडिया के माध्‍यम का दुरुपयोग सामने आया। इससे चेतने और सतर्क रहने की जरूरत है क्‍योंकि बीते समय में इसके भयावह दुष्‍परिणाम सामने आ चुके हैं। कुछ समय पहले बेंगलुरु में उत्‍तर पूर्वी राज्‍यों के युवाओं के साथ जो व्‍यवहार सामने आया, उसमें इस माध्‍यम का जमकर दुरुपयोग हुआ। वहीं, पंजाब सहित कुछ राज्यों में आतंकवाद फैलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया जोकि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बन गया। पंजाब में फेसबुक पर 1984 सिख दंगे की भड़काऊ कहानी डालनी शुरू कर दी गई थी। उन संदेशों में सिखों पर जुल्म करने वाले और दंगे को आरोपी नेताओं की हत्या के लिए एकजुट होने का आह्वान था। ऐसे संदेश यदि इस मंच पर साझा किए जाएंगे तो समझा जा सकता है कि इसके परिणाम क्‍यों होंगे। 

हाल के कुछ दंगों को लेकर सोशल मीडिया पर कुत्सित विचार रखने वाले कुछ लोगों ने जमकर अफवाह उड़ाया, जिसका परिणाम भी इस सभ्‍य समाज के लिए किसी मायने में अच्‍छा नहीं कहा जा सकता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कई घटनाएं सामने आईं और सोशल साइट्स जमकर कमेंट्स आए। इस तरह के गंभीर खतरे को लेकर पैनी नजर रखने की जरूरत है और सरकार को इस दिशा में जल्‍द एक कारगर कानून बनाना चाहिए। संवेदनशील इलाकों में नेटवर्किंग से कुछ तत्वों की ओर से साइबर हमले की आशंका हमेशा बनी रहती है। शरारती तत्व इस माध्यम का इस्तेमाल समस्या पैदा करने के लिए करते हैं, जिसे रोकने की आवश्यकता है। पिछले साल सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर निहित स्वार्थी तत्वों ने बेंगलुरु रह रहे पूर्वोत्तर के लोगों में भय पैदा कर दिया था। हाल में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के दौरान भी इसी तरह सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया गया था। मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान सांप्रदायिक तनावों को भड़काने वाले संदेश और वीडियो क्लिप अपलोड किए गए। कुछ साइटों पर होने वाले दुष्प्रचार के कारण पैदा होने वाले ऐसे हालात की कड़ी निगरानी करनी चाहिए।

लोगों के अभिव्यक्ति के अधिकार का पूरा समर्थन किया जाना चाहिए मगर सुरक्षा की कीमत पर नहीं। साइबर दुनिया के गलत इस्तेमाल पर अंकुश लगाना जरूरी है और शासन-प्रशासन को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए। 

बीते दिनों हरियाणा में एक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर सुसाइड नोट डालने के बाद एक युवक ने वर्षीय व्यक्ति ने अपने घर में कथित रूप से आत्महत्या कर ली। उसने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर अपना सुसाइड नोट अपलोड किया था। इससे यह पता चलता है कि सोशल साइटों का कुछ लोग किस तरह की मानसिकता से उपयोग करते हैं। हालांकि यह चलन निहायत ही गलत है। 

बीते कुछ सालों में भारत में सोशल नेटवर्किंग साइटों के इस्तेमाल में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। समय बीतने के साथ ही इसकी गति और तेज होती जा रही है और आगे भी इसके और तेज होने का अनुमान है। हालांकि इसके बढ़ने के पीछे कई कारण हैं, परंतु इसके पीछे युवाओं की भागीदारी सबसे अहम है। एक अनुमान के अनुसार, यदि इस गति से सोशल साइटों का इस्तेमाल देश में बढ़ता रहा तो 2016 तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा फेसबुक उपयोगकर्ता देश हो जाएगा। वहीं, अन्‍य सोशल साइटों मसलन ट्वीटर आदि पर युवाओं की तादाद खासी बढ़ी है। 

इन दिनों हो रहे चुनावों में राजनीतिक पार्टियां वोटरों, खास कर युवाओं को लुभाने के लिए सोशल मीडिया और मोबाइल फोन का व्‍यापक इस्तेमाल कर रही हैं।
राजनैतिक दल और नेता मतदाताओं को लुभाने के लिए फेसबुक व ट्विटर जैसी वेबसाइटों का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस इन मंचों का इस्तेमाल अपना प्रचार करने और प्रतिद्वंद्वियों की खिंचाई के लिए बखूबी कर रहे हैं। राजनैतिक दलों और उनके समर्थकों की ओर से ऐसे कई पेज बनाए गए हैं और इन पेजों के हजारों फॉलोवर्स हैं। इन वेब पेजों पर उनके कार्यक्रमों आदि को लेकर जानकारियां उपलब्ध रहती हैं और लोग इसे खूब साझा भी कर रहे हैं। 

वर्तमान समय में अमेरिका फेसबुक का सर्वाधिक उपयोग करने वाला देश है। अमेरिका में इस समय 14.68 करोड़ लोग फेसबुक इस्तेमाल करते हैं। हालांकि भारत अभी फेसबुक के 7.7 फीसदी उपयोगकर्ताओं के साथ दूसरे स्थान पर है, लेकिन अमेरिका से काफी पीछे है। भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और फेसबुक के इस्तेमाल की तेज गति के कारण 2016 तक यह फेसबुक के सर्वाधिक उपयोगकर्ताओं वाला देश हो जाएगा। एक तथ्‍य यह है कि चीन में फेसबुक का इस्तेमाल प्रतिबंधित है। दुनिया भर में तो फेसबुक के इस्तेमाल में कमी देखी जा रही है, लेकिन विकासशील देशों में इसके इस्तेमाल में आई तेजी के कारण विश्व स्तर पर इसके इस्तेमाल में आ रही गिरावट रुक सी गई है। भारत में इस वर्ष फेसबुक के उपयोगकर्ताओं की संख्या में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई। पिछले साल की तुलना में सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में 14.2 फीसदी का इजाफा हुआ। 

देश में समस्या पैदा करने के लिए सोशल मीडिया माध्यम का जमकर दुरुपयोग हो रहा है और ये बात उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुई सांप्रदायिक हिंसा से साबित होती है। इन सबके बीच देश के सामाजिक ताने बाने को बनाए रखना भी एक बड़ी चुनौती है। आज सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर रोक की नितांत आवश्यकता है ताकि 'देश के दुश्‍मन' फिर कोई दंगा या तनाव भड़काने में कामयाब न हो
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