Hindi, asked by shavuni, 6 months ago

क्या
. दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और
यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ
अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए। only SHORT Answer In HINDi . class 7 hindi ch.10​

Answers

Answered by ruchikasingh287287
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उत्तर - यासुकी - चान कि खुशी का ठिकाना नहीं था वह उस शाखा पर बैठ कर दुनिया को एक नए नजरिए से देख रहा था तो वही तोत्तो - चान की आंखें सफलता से भरी थी । अपने दोस्त को खुश देख कर तोत्तो - चान को आत्मसंतोष का अनुभव हो रहा था ।

Answered by anushkachakrab47
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Answer:

दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से पेड़ पर चढ़ने की सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकीचान को अपूर्व अनुभव मिला। इन दोनों के अपूर्व अनुभव का अंतर निम्न रूप में कह सकते हैं

तोत्तो-चान-तोत्तो-चान स्वयं तो रोज़ ही अपने निजी पेड़ पर चढ़ती थी। लेकिन पोलियो से ग्रस्त अपने मित्र यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने से उसे अपूर्व आत्म-संतुष्टि व खुशी प्राप्त हुई क्योंकि उसके इस जोखिम भरे कार्य से यासुकी-चान को अत्यधिक प्रसन्नता मिली। मित्र को प्रसन्न करने में ही वह प्रसन्न थी।

यासुकी-चान-यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़कर अपूर्व खुशी मिली। उसके मन की चाह पूरी हो गई। पेड़ पर चढ़ना तो दूर वह तो निजी पेड़ बनाने के लिए भी शारीरिक रूप से सक्षम न था। उसे ऐसा सुख पहले कभी न मिला था।

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