क्या उपनिषदों
के दार्शनिक विचार नियति वादियों और भौतिक वादियों से भिन्न न थे अपने जवाब के पक्ष में तीन तर्क दीजिए
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उपनिषदों
के दार्शनिक विचार नियति वादियों और भौतिक वादियों से भिन्न न थे अपने जवाब के पक्ष में तीन तर्क
Explanation:
हा उपनिषदों के दार्शनिक के विचार नियति वादियों और भौतिक वादियों के विचार से पूर्णतया भिन्न थे । इनकी भिन्नता के निम्नलिखित आधार थेनियति वादियों तथा भौतिक वादियों के विचार नियति वादियों के अनुसार इंसान के सुख-दुख नियति द्वारा निर्धारित मात्रा में दिए गए हैं इन्हें चाह कर भी बदला नहीं जा सकता बुद्धिजीवी लोग सोचते हैं कि वह अपने सद्गुणों द्वारा इन्हें बदल देंगे किंतु यह असंभव है अतः इंसान को अपने हिस्से के सुख-दुख को भोगना ही पड़ता है इसी प्रकार भौतिकवादी मानते हैं कि संसार में दान पुण्य नामक चीजों का कोई महत्व नहीं है दान पुण्य करने की अवधारणा पूरी तरह से निराधार है मरणोपरांत कुछ भी शेष नहीं रहता पाप आत्मा और पुण्य आत्मा दोनों नष्ट होकर पंचतत्व में विलीन हो जाते हैं उपनिषदों के दार्शनिक विचार ऊपर लिखित विचारों में आत्मा परमात्मा को कोई महत्व नहीं दिया गया है जबकि उपनिषदों के अनुसार मानव जीवन का परम उद्देश्य आत्मा को परमात्मा में विलीन कर स्वयं परम ब्रह्म हो जाना हैI
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