कोयल कब नहीं कूकती तथा कवि को उसका कूकना पागलपन क्यो लग रहा है?
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कोयल के अर्द्ध-रात्रि में कूकने से कवि को यह आभास हुआ कि स्वतंत्रता सेनानियों के ऊपर हो रहे अत्याचार को देखकर कोयल का हृदय भी भर उठा होगा। इसलिए वह दुःख और वेदना के कारण अर्द्ध रात्रि में कूक रही है।
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