Hindi, asked by shubhendrasingh581, 6 months ago

कोयल सुना रही है तराने वसंत को, भँवरे भी आ गए हैं रिझाने वसंत को। बुलबुल चमन में देखकर तुरंत आ गया, वसंत आ गया अहा! वसंत आ गया। सोलह सिंगार करके खड़ी है वधू-धरा, लेकर सुरंग हार खड़ी है वसुंधरा। सौंदर्य गर्विता वधू का अंत आ गया, वसंत आ गया अहा! वसंत आ गया।। ज्यों भूमिजा के पास उनके राम आ गए, वृषभानुजा के पास ज्यों कि श्याम आ गए शकुंतला के पास ज्यों दुष्यंत आ गया, वसंत आ गया अहा! वसंत आ गया।। सर-सर हवा पुकारती वसंत आ गया। तितली उतारे आरती वसंत आ गया। सरसों के सर सिहर उठे वसंत आ गया, चिड़ियों के घर सँवर उठे वसंत आ गया। नदियों ने छलछला कहा, वसंत आ गया, झरनों ने गीत गा कहा, वसंत आ गया। गुलशन में देख-देख गुल अनंत आ गया, वसंत आ गया अहा! वसंत आ गया।

प्रश्न

I. भूमिजा, वृषभानुजा तथा शकुंतला के पास कौन आ गया? स्पष्ट कीजिए।
II. “गुलशन में देख-देख गुल अनंत आ गया"-काव्य-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
III. काव्यांश के अनुसार, कोयल और भँवरे वसंत का स्वागत कैसे कर रहे हैं?
IV. प्रस्तुत काव्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
V. "सर-सर हवा पुकारती वसंत आ गया"-प्रस्तुत पंक्ति में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त है?




Answers

Answered by Anonymous
0

Answer:

उर्वशी' का यह तृतीय अंक स्वर्ग और मर्त्यलोक ,कल्पलोक और वास्तविकता वेग और विराम के द्वंद का अद्भुत गान है।

किस विद्वान का कथन है?

1- हरिवंश राय बच्चन

2- बच्चन सिंह

3- हजारी प्रसाद द्विवेदी✅

4- नगेन्द्र

Answered by mdumarkhan715
0

Explanation:

वसंत को तराने कौन सुना रही है

Similar questions