Hindi, asked by sahilsarda700, 10 months ago


क) यदि माँ न माध्यम बनी होती तो क्या होता ? “यह दंतुरित मुस्कान" पाठ के आधार पर बताइए ?​

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Answered by Anonymous
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Answer:

तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान

मृतक में भी डाल देगी जान

धूली-धूसर तुम्हारे ये गात

छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात

परस पाकर तुम्हारी ही प्राण,

पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण

छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल

बांस था कि बबूल?

तुम मुझे पाए नहीं पहचान?

देखते ही रहोगे अनिमेष!

थक गए हो?

आंख लूं मैं फेर?

क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?

यदि तुम्हारी मां न माध्यम बनी होती आज

मैं न सकता देख

मैं न पाता जान

तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान

धन्य तुम, मां भी तुम्‍हारी धन्य!

चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!

इस अतिथि से प्रिय क्या रहा तम्हारा संपर्क

उंगलियां मां की कराती रही मधुपर्क

देखते तुम इधर कनखी मार

और होतीं जब कि आंखें चार

तब तुम्हारी दंतुरित मुस्कान

लगती बड़ी ही छविमान!

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