India Languages, asked by tanviraut8b, 9 months ago

Kaar हजारीप्रसाद द्विवेदी ६-८
परिचय
३-५
हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शीश नवाऊँ ।
मैं भक्ति भेट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ।।
११-१३
माथे पे तू हो चंदन, छाती पे तू हो माला;
जिह्वा पे गीत तू हो मेरा, तेरा ही नाम गाऊँ।।
जन्म १८९७, शाहजहाँपुर ।
मृत्यु १९२७, गोरखपुर (उ.प्र
परिचय रामप्रसाद 'बि
भारत के महान स्वतंत्रता से
नहीं बल्कि उच्च को
कवि, अनुवादक, बहुभाष
साहित्यकार भी थे। आपने
आजादी के लिए अपने प्र
आहुति दे दी। 'सरफरो
तमन्ना...' आपकी प्रसिद
है। बिस्मिल उपनाम के
आप राम और अज्ञात
भी लेख व कविताएं लिख
प्रमुख कृतियाँ: 'मन में
'आत्मकथा' आदि।
१९-२२
जिससे सपूत उपजें, श्री राम-कृष्ण जैसे;
उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ।।
२३-२४
माई ! समुद्र जिसकी पद रज को नित्य धोकर;
करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ।
२५-२६
सेवा में तेरी माता । मैं भेदभाव तजकर;
वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनें-सुनाऊँ ।।
२७-२९
प्रस्तुत कविता में
३०-३३
३४-३५
तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मंत्र गाऊँ।
मन और देह तुम पर बलिदान मैं जाऊँ ।।
एवं स्वतंत्रता सेनानी कवि
'बिस्मिल' जी ने मातृभा
अपने प्रेम एवं भक्तिभाव
किया है। यहाँ आपने
३६-३८​

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Answered by shaileshyadav8047
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Answered by mshukla83
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