kaawya ki paribhasha or sheli ke aadhar par kaawya ke bhed
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स्वरूप के आधार पर काव्य के दो भेद हैं - श्रव्यकाव्य एवं दृश्यकाव्य। जिस काव्य का रसास्वादन दूसरे से सुनकर या स्वयं पढ़ कर किया जाता है उसे श्रव्य काव्य कहते हैं। जैसे रामायण और महाभारत। श्रव्य काव्य के भी दो भेद होते हैं - प्रबन्ध काव्य तथा मुक्तक काव्य।
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