(कबीर)
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाँय।
बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो बताय. meaning
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गोविंद और गुरु दोनों खड़े हैं जिसके पैर पहले छू बलिहारी गुरु आपने गुरु ने ही हमको भगवान के बारे में बताया तू इसलिए पहले मैं गुरु का ही चरण स्पर्श करूंगा
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Explanation:
कवि कहते हैं कि गुरु और गोविंद दोनों मेरे सामने है।
मैं पहले किसका चरण स्पर्श करू ? मुझे पहले गुरु के चरणो मै श्रद्धा प्रेम और भक्ति से स्वयं को न्योछावर कर देना चाहिए क्योंकि गुरु ने ही मुझे ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग बताया है। दोहे का भाव यहां है कि गुरु हमारे अज्ञान को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश देते हैं जिससे हम भगवान तक पहुंच सकते हैं।अतः शिष्य के लिए गुरु का महत्व गोविंद से भी अधिक है।
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