कबीरा गर्व न कीजिए कल गहे कर केस क्या जाने कि मरी है क्या घर क्या प्रदेश
(i) kal gahe Kar kes Ka artha aspasta kijie
Answers
Answered by
25
दोहे का अर्थ
"कबीरा गर्व ना कीजिये, काल गहे कर केश |
ना जाने कित मारे है, क्या घर क्या परदेश |”
यह कबीर जी का दोहा है और इस दोहे का अर्थ है =>
कबीर कहते हैं कि हे मानव ! तू क्या गर्व करता है? काल अपने हाथों में तेरे केश पकड़े हुए है। मालूम नहीं, वह घर या परदेश में, कहाँ पर तुझे मार डाले।
Similar questions
English,
6 months ago
Physics,
6 months ago
Computer Science,
6 months ago
Math,
1 year ago
Physics,
1 year ago
Environmental Sciences,
1 year ago