कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
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Answer:
कबीर इस दोहे में घास का विशेष अर्थ है , क्योंकि इसमें उन्होंने पैरों के नीचे आने वाली घास के बारे में कहा है की हमें किसी को भी निर्बल और कमज़ोर नहीं समझना चाहिए |
कबीर इस दोहे से यह संदेश देना चाहते है कि कभी भी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए यहाँ तक कि अपने से छोटे अथवा कमजोर लोगों की| भले ही कोई कितना छोटा क्यों न हो उसे तुच्छ समझकर उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए। कबीर ने घास का उदाहरण देते हुए समझाया है कि घास आपके पैरों के तले होती है। हमें कभी उसे छोटा समझकर दबाना नहीं चाहिए, क्योंकि अगर घास का एक छोटा तिनका भी अगर आंख में चला जाए दो बहुत दर्द होता है।
Answer:
कबीरदास जी छोटी से छोटी चीज की निंदा करने से हमें रोकते हैं क्योंकि वह छोटी चीज अभी हमारी आंख में चली जाए तो हमें बहुत पीड़ा होती है और मुश्किल से निकलता है तिनका इसलिए कबीरदास जी कहते हैं छोटी से छोटी चीज भी बहुत आवश्यक है उस की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए
Explanation:
कबीरदास जी छोटी से छोटी चीज की निंदा करने से हमें रोकते हैं क्योंकि वह छोटी चीज अभी हमारी आंख में चली जाए तो हमें बहुत पीड़ा होती है और मुश्किल से निकलता है तिनका इसलिए कबीरदास जी कहते हैं छोटी से छोटी चीज भी बहुत आवश्यक है उस की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए
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