Science, asked by Angelicutie05, 5 months ago

कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।​

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Answered by SweetCandy10
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Answer:

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घास का अर्थ है पैरों में रहने वाली तुच्छ वस्तु। कबीर अपने दोहे में उस घास तक की निंदा करने से मना करते हैं जो हमारे पैरों के तले होती है। कबीर के दोहे में ‘घास’ का विशेष अर्थ है। यहाँ घास दबे-कुचले व्यक्तियों की प्रतीक है। कबीर के दोहे का संदेश यही है कि व्यक्ति या प्राणी चाहे वह जितना भी छोटा हो उसे तुच्छ समझकर उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए। हमें सबका सम्मान करना चाहिए।

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Answered by 8278761070
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Answer:

कभी हमें घास की निंदा करने के लिए कहते हैं क्योंकि यहां पर घास एक निर्धन एवं दबे हुए व्यक्ति का प्रतीक है कहा जाता है कि दबी हुई चींटी हमें काटती है उसी प्रकार गरीब और दबा हुआ व्यक्ति भी हमारे द्वारा निंदा किए जाने के बाद जागरूक हो जाएगा इसलिए कबीर घास की निंदा करने ना करने के लिए कहते हैं

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