कबीर घास की निंदा करने से मना करते हैं। कबीर के दोहे में 'घास' का विशेष अर्थ क्या है और कबीर के उक्त दोहे संदेश क्या है?
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कबीर के दोहे में घास का अर्थ निम्नवर्गीय लोगों से है। जो सभी के पांव के नीचे दबा रहता है अर्थात जो अभावग्रस्त और दुखी है। कवि कहते हैं कि हमें निम्नवर्गीय अर्थात गरीब लोगों की निंदा या अपमान नहीं करना चाहिए , क्योंकि जागृत होने पर ये लोग ही कष्ट देने वालों के लिए कष्ट और दुख का कारण बन जाते हैं और कष्ट देने वालों को अत्यधिक कष्ट एवं पीड़ा पहुंचाता है।आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।
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This is because we should not consider anybody as big or small.
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