Hindi, asked by ananyasachan5jul2009, 2 months ago

कबिरा हरि के रूठते, गुरु के सरने जाय।
कह कबीर गुरु रूठते, हरि नहिं होत सहाय॥8॥ प्रभु से भी अधिक गुरु को महत्व क्यों दिया गया है?​

Answers

Answered by saraswatithore57
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Answer:

कबीर दास जी कहते हैं कि अगर भगवान हमसे रूठ जाते हैं तो हम गुरु की शरण में जा सकते हैं और उनसे सहायता मांग सकते हैं। परन्तु अगर गुरु हम से नाराज़ हो जायेंगे तो भगवान भी हमारी सहायता नहीं करेंगे। इस दोहे में वे गुरु की महानता प्रकट करते हैं।

Answered by vatsalpal13jun2009
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Answer:

कबीर जी ने इस दोहे में गुरु की महत्ता को बताया है। गुरु वह व्यक्ति होता है जो हमें भव सागर से पार कराने के लिए सही राह दिखाता है। गुरु के ज्ञान, अनुभव और संदेशों के माध्यम से हमें सच्ची ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसलिए, कबीर जी ने कहा है कि अगर हमारा गुरु रूठ जाता है तो हमें हरि से भी ज्यादा उसकी शरण में जाना चाहिए। गुरु भक्ति का प्रतीक होता है और हमारी आध्यात्मिक उन्नति में हमारी मदद करता है।

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