Hindi, asked by leaf97430, 1 month ago

कबीर जी की ऐसी एक रचना जो पाठ्यपुस्तक में नहीं है​

Answers

Answered by XTLUCKYBHAI
4

Answer:

कबीर जी इस पंक्ति में हिन्दुओं और मुस्लमानों के लिए बोल रहे हैं। उनका अर्थ है कि ये दोनों धर्म आंडबरों में उलझे हुए हैं। इन्हें सच्ची भक्ति का अर्थ नहीं मालूम है। धार्मिक आंडबरों को धर्म मानकर चलते हैं। कबीर के अनुसार ये दोनों भटके हुए हैं।

Similar questions