कबीर जी के दोहों,ऩदों ि सबद का सॊकऱन करके एक ऩररयोजना कायय तैयार करे|
Answers
Answer:
kabir ke dohe
1) बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
2)जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।
kabir ke pad
1)
प्रेम नगर का अंत न पाया, ज्यों आया त्यों जावैगा॥
सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता, या जीवन में क्या क्या बीता॥
सिर पाहन का बोझा लीता, आगे कौन छुड़ावैगा॥
परली पार मेरा मीता खड़िया, उस मिलने का ध्यान न धरिया॥
टूटी नाव, उपर जो बैठा, गाफिल गोता खावैगा॥
दास कबीर कहैं समझाई, अंतकाल तेरा कौन सहाई॥
चला अकेला संग न कोई, किया अपना पावैगा॥
Explanation:
1)dohe ka arth
अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है।
2)अर्थ: सज्जन की जाति न पूछ कर उसके ज्ञान को समझना चाहिए। तलवार का मूल्य होता है न कि उसकी मयान का – उसे ढकने वाले खोल का।
Explanation:
❤❤
Answer:
घेर घेर घोर गगन, धाराधर वो
विकल विकल उन्मन थे उन्मन
तप्त धरा जल से फिर, शीतल कर दो बादल गरजा
काले काले घुंघराले बाल कृष्णा कैसे पाएं
विद्युत छवि और मैं कभी नवजीवन वाली
Explanation:
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