Hindi, asked by rishitchohan22, 9 months ago

कबीर जी ने निंदक व्यक्ति की तुलना किससे और क्यों की है

Answers

Answered by ronak7558
50

Answer:

निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय,

बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।

अर्थ : इस दोहे में कबीर जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही हैं उन लोगों के लिए जो दिन रात आपकी निंदा करते हैं और आपकी बुराइयाँ बताते हैं। कबीर जी कहते हैं ऐसे लोगों को हमें अपने करीब रखना चाहिए क्योंकि वे तो बिना पानी, बिना साबुन हमें हमारी नकारात्मक आदतों को बताते हैं जिससे हम उन नकारात्मक विचारों को सुधार कर सकारात्मक बना सकते हैं।

Answered by franktheruler
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कबीर जी ने निंदक व्यक्ति की तुलना धोबी से की है क्योंकि वह बिन साबुन तथा बिन पानी के हमारे मैले कपड़े रूपी हृदय को धोता है

  • कबीर जी अपने दोहे में कहते है

निंदक नियरे राखिए आंगन छवाय

बिन पानी, बिन साबुन , निर्मल करे सुभाय।

  • वे कहते है कि अपने निंदक को अपने पास ही रखना चाहिए , हो सके तो अपने आंगन में ही उसे घर बनाकर देना चाहिए जिससे वो हमारे मैले मन को साफ करते रहेगा व हमें हमारे अवगुणों से अवगत करवाएगा।
  • कबीर जी कहते है कि निंदक हमारे लिए सफाई का काम करते है , वे हमारे शुभ चिंतक है क्योंकि वे बिना साबुन तथा बिना पानी के हमारे
  • गंदे व विकारों से भरे मन की सफाई करता है।

इस कारण निंदक को कभी भी अपने से दूर

।नहीं करना चाहिए।

#SPJ3

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