कबीर के अनुसार जीवित कौन है। हरि भजन के लिए कैसी मनोभावना होनी चाहिए कबीर मनुष्य में किस प्रकार के गुण चाहता है
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कबीर ने उस व्यक्ति को जीवित कहा है जो राम और रहीम के चक्कर में नहीं पड़ता है।इनके चक्कर में पड़े व्यक्ति राम-राम या खुदा-खुदा करते रह जाते हैं पर उनके हाथ कुछ नहीं लगता है। इन दोनों से दूर रहकर प्रभु की सच्ची भक्ति करने वालों को ही कबीर ने जीवित कहा है।
हरि भजन के लिए सांसारिक विरोध-समर्थन, निंदा-गुणगान आदि की भावना से पृथक् 'निरपेक्ष भावना' होनी चाहिये।
कबीर ने हर एक मनुष्य को किसी एक मत, संप्रदाय, धर्म आदि में न पड़ने की सलाह दी है। ये सारी चीजें मनुष्य को राह से भटकाने तथा बँटवारे की ओर ले जाती है।अतः कबीर के अनुसार हमें इन सब चक्करों में नहीं पड़ना चाहिए। मनुष्य को चाहिए कि वह निष्काम तथा निश्छल भाव से प्रभु की आराधना करें।
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