कबीर के अनुसार काबा कब काशी हो जाता है?
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कबीर के अनुसार काबा कब काशी हो जाता है?
कबीर के अनुसार काबा का काशी तब बन जाता है, जब धर्मों के बीच का भेद मिट जाता है। अर्थात हिंदू धर्म या मुस्लिम धर्म या अन्य किसी भी धर्म के बीच मतभेद नहीं रहता। ये भेद तभी मिटता है, जब सतगुरु से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
हर धर्म में ईश्वर के अपने-अपने रूप हैं, अपने-अपने तीर्थ स्थल है। लेकिन ईश्वर एक ही है और ईश्वर का मूल एक है। कोई भी धर्म किसी भी रूप में ईश्वर को माने लेकिन अंत में ईश्वर एक ही है। ईश्वर के बीच अंतर न होने का ये भेद गुरु से ज्ञान प्राप्त करने पर ही पता चलता है। जब यह भेद मिट जाता है तब काबा और काशी में कोई अंतर नहीं रहता। सब एक हो जाता है। ईश्वर के रूपों के बीच का भेद मिट जाता है और व्यक्ति ईश्वर की एक ही अंतिम रूप को मानने लगता है।
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