कबीर के अनुसार समाज में कभी कीसी को कमजोर क्यों नहीं समझना चाहिए
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कबीर के दोहे में घास का विशेष अर्थ है क्योंकि इसमें उन्होंने पैरों के नीचे रौंदी जाने वाली घास के बारे में कहा है कि हमें कभी उसे निर्बल या कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसका छोटा-सा तिनका भी यदि आँख में पड जाए तो कष्टकर होता है।
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इसीलिए क्योंकि अगर एक घास का एक छोटा सा तिनका हमारे आँख में चला जाये तो वह बहुत पीड़ा देता है ठीक उसी तरह हमे किसी को कमज़ोर नही समझना चाहिए।
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