कबीर का जागने व रोने का क्या आशय है ?
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इससे कबीर का यह आशय हैं कि जो लोग परमेश्वर को ही सर्वप्रथम मानते हैं, उनकी सेवा करने की चेष्टा करते हैं, उनसे मिलने की प्रतीक्षा करते हैं, वे लोग ही जागते व रोते हैं तथा प्रभु से मिलने हेतु तड़पते रहते हैं। वही दूसरी ओर जो लोग संसार के भौतिक वस्तुओं में ही सुख प्राप्त कर खुश रहते हैं, खाते हैं और सो जाते हैं। कबीर को ऐसे लोगो पर दया आती हैं जो अब तक अपने जीवन के असली परम सुख को पहचान न सकें ।
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Answer: इससे कबीर का यह आशय हैं कि जो लोग परमेश्वर को ही सर्वप्रथम मानते हैं, उनकी सेवा करने की चेष्टा करते हैं, उनसे मिलने की प्रतीक्षा करते हैं, वे लोग ही जागते व रोते हैं तथा प्रभु से मिलने हेतु तड़पते रहते हैं। वही दूसरी ओर जो लोग संसार के भौतिक वस्तुओं में ही सुख प्राप्त कर खुश रहते हैं, खाते हैं और सो जाते हैं
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