Hindi, asked by vishalkr1352, 5 months ago

कबीर की काव्यगत विशेषता का वर्णन करें। ​

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Answered by bhatiamona
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कबीर की काव्यगत विशेषता का वर्णन करें :

कबीर के काव्य की विशेषता

व्याख्या :

कबीर के काव्य भाषा सधुक्कड़ी शैली की भाषा रही है। कबीर की काव्य भाषा ऐसी भाषा होती थी, जिसमें मिश्रित शब्दों का प्रयोग किया जाता था। उनकी यह भाषा पंचमेल खिचड़ी की तरह थी। उनकी इस भाषा को साधुक्कड़ी भाषा कहा जाता था। कबीर के दोहे आम बोलचाल की भाषा में ही रचे गए हैं जो आम जनमानस को बेहद आसानी से समझ में आ जाते थे।

कबीर ने अपने दोहों में सामाजिक कुरीतियों और धार्मिक आडंबरों पर जोरदार कटाक्ष किया है।

कबीर मैं अपने दोहों के माध्यम से ईश्वर की भक्ति की महत्ता स्पष्ट की है। उन्होंने गुरु के महत्व को स्पष्ट किया है। लेकिन उन्होंने धार्मिक आडंबरों और कुरीतियों पर गहरा कटाक्ष किया है। उनके अनुसार चिल्ला चिल्ला कर बोलने से प्रभु नहीं आते बल्कि उन्हे हृदय की आवाज से बुलाना पड़ता है। कबीर के काव्य में दार्शनिक भाव अधिक मिलता है।

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