कबीर के निर्गुण ब्रह्म का स्वरूप क्या है
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Answer:
unka nirgun puja karna bahari adambaro par vishwas na karna
Explanation:
कबीर के निर्गुण ब्रह्म का स्वरूप
निर्गुण उपासना पद्धति में ईश्वर के निर्गुण रूप की पूजा है. हिन्दू शास्त्र, में, भगवान के निर्गुण और सगुण दोनों फार्म और उनके भक्तों के लिए, के बारे में बताया गया है. निर्गुण ब्रह्म ये मानता है कि भगवान अनादि, अनन्त है, वह न जन्म लेता है और न मरता है, इस विचारधारा को मान्यता दी गई है । हिन्दी साहित्य के इतिहास के लेखन में भक्ति काल को निर्गुण भक्ति शाखा तथा सगुण भक्ति शाखा में विभाजित किया जाता है |
कबीर जैसे कवि जो निराकार ईश्वर में विश्वास करते हैं निर्गुण भक्ति शाखा से सम्बन्धित माने जाते हैं | निर्गुण ब्रह्म के उपास्य न होने के कारण वास्तव में कबीर की उपासना सगुण ब्रह्म की उपासना है | सगुण भक्ति शाखा के कवि सूरदास और तुलसीदास आदि हैं जो कृष्ण और राम को ईश्वर का अवतार मानते हैं | राम और कृष्ण शब्द ईश्वर के पर्यायवाची हैं | इसी अर्थ में ये शब्द सगुण ब्रह्म के लिए प्रयुक्त हो सकते हैं | वेद और उपनिषद अवतारवाद में विश्वास नहीं करते | जो कवि अवतारवाद में विश्वास करते हैं वे वास्तव में अवतारवादी भक्ति शाखा के कवि हैं सगुण भक्ति शाखा के कवि नहीं |