कबीर की साखी में ‘विष' और 'अमृत' किसके प्रतीक है?
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कबीर की साखी में ‘विष' और 'अमृत' किसके प्रतीक है?
कबीर की साखी में कबीर जी ने विष को मनुष्य के अंदर स्थित मोह-माया, लोभ-लालच आदि सभी प्रकार की बुराइयों का प्रतीक माना है| जो मनुष्य को जीवन में कभी भी ऊँचाइयों तक नहीं ले कर जाता है| यह सब बुराइयों मनुष्य को सब से दूर कर देती है|
कबीर की साखी में कबीर जी ने अमृत को अमृत ईश्वर भक्ति और उससे मिलने वाले आनंद का प्रतीक माना है | जो मनुष्य ईश्वर की भक्ति और अच्छे कर्म करता है , सब के प्रति प्रेम की भावना रखना है उसके जीवन में सब कुछ अमृत पाता है |
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सार सार को गहि रहै थोथा देई उड़ाय ।
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