कबीर की साखियां
1)कबीर के दोहों को किस नाम से जाना जाता है?
2) कभी साधु से क्या पूछने की बात कह रहा है?
3) कभी किस का मूल करने की बात कह रहा है?
4) अपशब्द एक का एक कब रह जाता है?
5) कबीर किस की निंदा ना करने की सीख देते हैं?
6) जग में कोई किसी का बैरी कब नहीं होता?
7) आप आधारी देने पर व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार होता है?
8) आपका को दाढ़ी देने का तात्पर्य क्या है?
9)कबीर की रचनाओं का संकलन किस नाम से जाना जाता है?
Ncert Hindi class 8.. Ch 9 -कबीर की साखियाँ।
Answers
Answer:
1-कबीर के दोहे बीजक ग्रंथनाम से जाना जाता है।
2-जाति न पूछो साध की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥ साधु की जाति क्यों नहीं पूछनी चाहिए? Answer: साधु की जाति इसलिए नहीं पूछनी चाहिए क्योंकि वह चाहे किसी भी जाति का हो हमें केवल उसके ज्ञान को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
3-Kavi talwar ka mol karne ki baat kah raha hai...
4-अपशब्द 'एक की एक 'कब रह जाती 1 point धीरे से अपशब्द देने पर पलट कर जवाब ना देने पर किसी के द्वारा दी गई अपशब्द से भी दूनी अपशब्द देने पर
5-कबीर के दोहे में घास का विशेष अर्थ है क्योंकि इसमें उन्होंने पैरों के नीचे रौंदी जाने वाली घास के बारे में कहा है कि हमें कभी उसे निर्बल या कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसका छोटा-सा तिनका भी यदि आँख में पड जाए तो कष्टकर होता है।
6-हिन्दी मे अर्थ ।। संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि अगर अपने मन में शीतलता हो तो इस संसार में कोई बैरी नहीं प्रतीत होता। अगर आदमी अपना अहंकार छोड़ दे तो उस पर हर कोई दया करने को तैयार हो जाता है।
7-* सबसे कमजोर समझने लगते है। सब उस पर दया करने लगते हैं। सब उसे सताने लगते हैं।
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9-हिन्दी साहित्य के महाज्ञानी कबीरदास जी की वाणी को साखी, सबद और रमैनी तीन अलग-अलग रुपों में लिखा गया है, जो कि बीजक नाम से मशहूर है। वहीं कबीर ग्रंथावली में उनकी रचनाओं का संग्रह देखने को मिलता है। यह राजस्थानी, पंजाबी, पूरबी, अवधी, ब्रजभाषा, खड़ी बोली समेत कई अलग-अलग भाषाओं का मिश्रण है।
Answer:
1. कबीर के दोहे बीजक ग्रंथनाम से जाना जाता है।
2. साधु की जाति इसलिए नहीं पूछनी चाहिए क्योंकि वह चाहे किसी सबसे कमजोर समझने लगते है। सब उस पर दया करने लगते हैं। सब उसे सताने लगते हैं।सबसे कमजोर समझने लगते है। सब उस पर दया करने लगते हैं। भी जाति का हो हमें केवल उसके ज्ञान को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
3. Kavi talwar ka mol karne ki baat kah raha hai.
4. अपशब्द 'एक की एक 'कब रह जाती 1 point धीरे से अपशब्द देने पर पलट कर जवाब ना देने पर किसी के द्वारा दी गई अपशब्द से भी दूनी अपशब्द देने पर
5. कबीर के दोहे में घास का विशेष अर्थ है क्योंकि इसमें उन्होंने पैरों के नीचे रौंदी जाने वाली घास के बारे में कहा है कि हमें कभी उसे निर्बल या कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसका छोटा-सा तिनका भी यदि आँख में पड जाए तो कष्टकर होता है।
6. संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि अगर अपने मन में शीतलता हो तो इस संसार में कोई बैरी नहीं प्रतीत होता। अगर आदमी अपना अहंकार छोड़ दे तो उस पर हर कोई दया करने को तैयार हो जाता है।
7. सबसे कमजोर समझने लगते है। सब उस पर दया करने लगते हैं। सब उसे सताने लगते हैं।
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9. हिन्दी साहित्य के महाज्ञानी कबीरदास जी की वाणी को साखी, सबद और रमैनी तीन अलग-अलग रुपों में लिखा गया है, जो कि बीजक नाम से मशहूर है। वहीं कबीर ग्रंथावली में उनकी रचनाओं का संग्रह देखने को मिलता है। यह राजस्थानी, पंजाबी, पूरबी, अवधी, ब्रजभाषा, खड़ी बोली समेत कई अलग-अलग भाषाओं का मिश्रण है।
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