Hindi, asked by aaj20604, 1 year ago

कबीर की साखियाँ आज भी प्रासंगिक है,कैसे?
Class 10
CBSE
Ncert​
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Answers

Answered by bhatiamona
78

Answer:

                                            कबीर की साखियाँ

कबीर की साखी में कबीर जी यह समझाना चाहते है : हमे ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए जिससे हमें शीतलता का अनुभव हो और साथ ही सुनने वाले  का मन भी प्रसन्न हो उठे।

हमें कटुर वचन नहीं बोलने चाहिए | हमेशा सबसे प्यार से और हंस के बात करनी चाहिए | खुद को भी सुख की अनुभूति होती  है।

कबीर ने उपर्युक्त दोहे में वाणी को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बताया है।  महाकवि संत कबीर दस के दोहे में कहा गया है की हमे ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए जिससे हमें शीतलता का अनुभव हो और साथ ही सुनने वालों का मन भी प्रसन्न हो उठे।  मधुर वाणी से समाज में एक-दूसरे से प्रेम की भावना का संचार होता है। जबकि कटु वचनो से सामाजिक प्राणी एक-दूसरे के विरोधी बन जाते है।  इसलिए हमेशा मीठा और उचित ही बोलना चाहिए, जो दुसरो को तो प्रसन्न करता ही है और खुद को भी सुख की अनुभूति कराता है।

Answered by amansingh2788978
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Explanation:

कबीर निर्गुण ब्रह्म की बात करते हुए कहते हैं, 'निर्गुण पंथ निराला साधो' दूसरी ओर मानव देह रूप चादर के ध्रुव, प्रह्लाद सुदामा ने ओढी सुकदेव ने निर्मल किन्हीं कह कर सगुण साकार ब्रह्म की ही बात करते हैं। क्योंकि ध्रुव प्रह्लाद सुदामा और सुकदेव आदि संत श्रीमद्भागवत के चरित्र हैं। यदि कबीर केवल निर्गुण की ही बात करने वाले संत होते तो इन भक्तों को अपनी रचनाओं में कदापि स्थान नहीं देते। वस्तुतः कबीर, रूढ़िवादी, परंपरा के धुर विरोधी और मानव मात्र की उद्धार की सरल रीति बताने वाले संत कवि थे।

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