कबीर की साखियो फा मुल माल है? आज मी किस प्रकार उपयोती है
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कबीर की भाषा में सरलता एवं सादगी है, उसमें नूतन प्रकाश देने की अद्भुत शक्ति है। उनका साहित्य जन-जीवन को उन्नत बनाने वाला, मानवतावाद का पोषाक, विश्व -बन्धुत्व की भावना जाग्रत करने वाला है। इसी कारण हिन्दी सन्त काव्यधारा में उनका स्थान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
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कबीर एक व्यक्ति होने के बजाय व्यक्तित्व हैं. कबीर जो न हिन्दू हैं और न मुसलमान. कबीर जो दुनियावी होने के बावजूद जाति-धर्म से ऊपर हैं. दुनिया को आईना दिखाते कबीर. समाज में व्याप्त कुरीतियों पर कुठाराघात करते कबीर. एक ऐसी शख्सियत जिस पर हिन्दू और मुसलमान दोनों दावा करते हैं और वह हर तरह के जात-पात से ऊपर उठ गया है.
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