कबीर की साखियां में से आपको कौन सी साखी सबसे अच्छी लगी और क्यों
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कबीर की साखियां में से आपको कौन सी साखी सबसे अच्छी लगी और क्यों
कबीर की साखियां बहुत अच्छी है | कबीर की साखियां जीवन में हमेशा ज्ञान देती है |
कबीर की साखी में कबीर जी यह समझाना चाहते है : हमे ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए जिससे हमें शीतलता का अनुभव हो और साथ ही सुनने वाले का मन भी प्रसन्न हो उठे। हमें कटुर वचन नहीं बोलने चाहिए | हमेशा सबसे प्यार से और हंस के बात करनी चाहिए | खुद को भी सुख की अनुभूति होती है।
माला तो कर में फिरे, जीभी फिरे मुख्य माहीं ।
मनवा तो चहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नहीं ॥
दोहे में संत कबीर दास जी कहते है कि हाथ में माला फेरना और मुख्य में जीभ से कुछ भजन करने से ईश्वर का सच्चा सुमिरन नहीं होता है यदि मन में ही लग्न न हो। दिखावा करने से कुछ नहीं होता , जब तक हम ईश्वर की भक्ति सच्चे दिल से न करें और अपना मन एक तरफ़ रखना चाहिए | दिखावा और ढोंग करने से कुछ नहीं होता |