कबीर की साखियां
पखापखी किस संदर्भ में कहा गया है?
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निरपख होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान॥ शब्दार्थ – पखापखी - पक्ष और विपक्ष, कारनै - कारण, भुलान - भूला हुआ, निरपख - निष्पक्ष, होइ - होकर, भजै - भक्ति करना, सोई - वही, सुजान - ज्ञानी/चतुर । प्रसंग - प्रस्तुत साखी के माध्यम से कबीर ने वाद-विवाद से बचकर निष्पक्ष भाव से ईश्वर की भक्ति करने की प्रेरणा दी है।
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