कबीर की साखियाँ' से अपनी पसंद का कोई दो दोहा लिखिए |
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ईश्वर में यदि मन नहीं लगा है ,तो सारा आडम्बर व्यर्थ है। ईश्वर की प्राप्ति सहजता से होती है ,आडम्बरों से नहीं। कबीर घास न नींदिए, जो पाऊँ तलि होइ। उड़ि पड़ै जब आँखि मैं, खरी दुहेली होइ।28-Aug-2019
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कबीर की साखियाँ जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥ किसी साधु की जाति या धर्म से किसी को कोई मतलब नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके ज्ञान से मतलब होना चाहिए।
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