Hindi, asked by sp2330590, 1 month ago

कबीर की समकालीन परिस्थितियों का परिचय देते हुए कोई 10 कबीर के दोहे लिखे जो आज भी प्रासंगिक है​

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Answered by bhatiamona
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कबीर जी के दोहे आज तक ज्ञान देते है| हम आज तक कबीर के सिद्धांतों और शिक्षाओं को अपने जीवन शैली का आधार मानते हैं | कबीर जी  ने रूढ़ियों, सामाजिक कुरितियों, तिर्थाटन, मूर्तिपूजा, नमाज, रोजादि का खुलकर विरोध किया |

समय के सदुपयोग के महत्व को समझते हुए कबीर दास जी ने कहा कि

'काल करें जो आज कर, आज करें सो अब।  

जीवन बहुत छोटा होता है , हमें कोई भी काम कल पर नहीं डालना चाहिए | जो काम है आज के आज खत्म कर लेना चाहिए | कल कभी नहीं आता |

निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।

कबीर जी इस दोहे से समझाना चाहते है कि निंदा कने वाले वव्यक्ति को हमेशा अपने पास रखना चाहिए क्योंकि निंदा करने वाला व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति की बिना पानी और बिना साबुन से उसकी कमियां बता कर उसके स्वभाव को साफ कर देता है|  

यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।

सीस दिए जो गुरु मिले तो भी सस्ता जान।।

कबीर जी इस दोहे में कहते है ,  

हमारा शरीर एक विष से व्याप्त पौधे के सामान है , मनुष्य शरीर को गुरु रूपी अमृत ही स्वच्छ कर सकता है| हम  अपने जीवन को गुरु रूपी अमृत पाने के लिए त्याग करना पड़े तो यह सबसे सस्ता रास्ता है |

यह तन काचा कुम्भ है,लिया फिरे था साथ।

ढबका लागा फूटिगा, कछू न आया हाथ॥

कबीर जी इस दोहे में कहते है ,  

मनुष्य शरीर को मिटटी क कच्चे घड़े से तुलना करते है | हे मनुष्य यह तू  शरीर कच्चा घड़ा है | अपने साथ लिए घूमता है , फिरता है | इसमें जता सी चोट लगते ही यह फुट जाएगा तेरे हाथ कुछ भी ही आएगा |

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