कबीर के दोहा अनुसार निंदक को कहाँ रखना चाहिए ।
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घर के बाहर
आंगन में कुटिया बांधकर
घर से बहुत दूर
उपर्युक्त सभी
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निंदक नियरे राखिये, आंगन कुटीर छवाय। बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करत सुभाय।। इस दोहे में कबीर जी निंदक को अपने पास रखने के लिए कह रहे हैं। वह ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि निंदक हमारे पास रहेंगे तो हमारी आलोचना करेंगे।
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निंदक नियरे राखिये, आंगन कुटीर छवाय। बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करत सुभाय।। इस दोहे में कबीर जी निंदक को अपने पास रखने के लिए कह रहे हैं।।।
Explanation:
this mean in आंगन में कुटिया बांधकर
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