Hindi, asked by Rakesh9415, 1 year ago

कबीर के दोहे और पद सांप्रदायिक सद्भाव उत्पन्न करते है। इस विषय मे संक्षेप मे लिखिए​

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Answered by bhatiamona
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Answer:

कबीर आज इस दुनिया में नहीं हैं, मगर उनकी कही गई बातें आज भी हम सभी के लिए अंधेरे में रोशनी का काम करती हैं| कबीरदास जी एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने अपने युग में व्याप्त सामाजिक अंधविश्वासों, कुरीतियों और रूढ़िवादिता का विरोध किया। कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण कवियों में एक थे| वह निर्गुण भक्ति में विश्वास करते थे ।कबीर जी  ने रूढ़ियों, सामाजिक कुरितियों, तिर्थाटन, मूर्तिपूजा, नमाज, रोजादि का खुलकर विरोध किया |  

'जाति प्रथा' समाज की एक ऐसी बुराई थी जिसके चलते समाज के एक बड़े वर्ग को मनुष्यत्व के बाहर का दर्जा मिला हुआ था। कबीर दास जी कहते हैं कि मनुष्य जीवन तो अनमोल है इसलिए हमें अपने मानव जीवन में किसी को दुःख नहीं चाहिए बल्कि हमें अपने अच्छे कर्मों के द्वारा अपने जीवन को उद्देश्यमय बनाना चाहिए।  

दोहे  

 कबीर दास जी  के दोहे हमें आज भी आगे बढ़ने की शिक्षा और प्रेरणा देते है।

कल का काम आज ही खत्म करें और आज का काम अभी ही खत्म करें. ऐसा न हो कि प्रलय आ जाए और सब-कुछ खत्म हो जाए और तुम कुछ न कर पाओगे |

हमेशा ऐसी बोली और भाषा बोलिए कि उससे आपका अहम न बोले. आप खुद भी सुकून से रहें और दूसरे भी सुखी रहें|

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर |

पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर ||

इन पंक्ति में कबीर कहते हैं, कि सिर्फ बड़े होने से कुछ नहीं होता. उदाहरण के लिए खजूर का पेड़, जो इतना बड़ा होता है पर ना तो किसी यात्री को धूप के समय छाया दे सकता है, ना ही उसके फल कोई आसानी से तोड़ के अपनी भूख मिटा सकता है।

Answered by maithily30
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