Hindi, asked by siddhi291, 6 months ago

कबीर के दोहे पाठ का भावार्थ class 7

Answers

Answered by Anonymous
1

Answer:

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान। कहि रहीम परकाज हित, संपति-संचहि सुजान॥ अर्थ - वे कहते हैं कि जिस प्रकार वृक्ष स्वयं फल नहीं खाते हैं, सरोवर स्वयं पानी नहीं पीते ठीक उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति धन का संचय खुद के लिए न करके परोपकार के लिए करते हैं। थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात

Answered by sumansinghania8791
4

Answer:

अर्थ - वे कहते हैं कि जिस प्रकार वृक्ष स्वयं फल नहीं खाते हैं, सरोवर स्वयं पानी नहीं पीते ठीक उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति धन का संचय खुद के लिए न करके परोपकार के लिए करते हैं। थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात। धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात॥ अर्थ - इस दोहे में कवि ने क्वार मास के बादलों का वर्णन किया है।

Explanation:

Pls Make Me Branist

Similar questions