Hindi, asked by shivu9849, 4 months ago

कबीर का दोहा यहु तन जालौ मसि करौ , लिखौ राम का नाऊँ । लेखणि करूँ करंक की , लिखि - लिखि राम पठाऊँ।। अर्थ बताइए​

Answers

Answered by neetajashvant
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Explanation:

इस तन को जलाकर स्याही बना लूँगी, और जो कंकाल रह जायगा, उसकी लेखनी तैयार कर लूँगी । उससे प्रेम की पाती लिख-लिखकर अपने प्यारे राम को भेजती रहूँगी । ऐसे होंगे वे मेरे संदेसे ।

please mark as brainlist!!!

Answered by ashnaarora2002
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Answer:

अर्थ – इस तन को जलाकर स्याही बना लूँगी, और जो कंकाल रह जायगा, उसकी लेखनी तैयार कर लूँगी।

I think so this should be the answer. ( But I am not sure)

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