Hindi, asked by tufankher, 6 months ago

कबीर के धार्मिक विचारों पर प्रकाश डालिए​

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Answered by Anonymous
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कबीर ने अपने विचारों द्वारा जन मानस की आँखों पर धर्म तथा संप्रदाय के नाम पर पड़े परदे को खोलने का प्रयास किया है। उन्होंने हिंदु- मुस्लिम एकता का समर्थन किया तथा धार्मिक कुप्रथाओं जैसे मूर्तिपूजा का विरोध किया है। ईश्वर मंदिर, मस्जिद तथा गुरुद्वारे में नहीं होते हैं बल्कि मनुष्य की आत्मा में व्याप्त हैं।

Answered by chandidasdhibar
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Answer:

कबीर महान मानवतावादी विचारधारा के महान संत रहे हैं जिनका प्रत्येक शब्द सारमय है। कबीर ने किसी शास्त्र का अनुवाद नहीं किया अपितु जो देखा, सहा उसे सरल और सहज शब्दों में लोगों तक प्रसारित किया। जहाँ भी उन्हें आडम्बर, दिखावा, मिथ्याचार दिखा उसे तार्किक विचारों के माध्यम से समाज के उत्थान के लिए उनका खंडन किया। कबीर की बातें लोगों को अपने निकट लगती थी क्यों की उनकी वाणी में कही स्वंय के पांडित्य प्रदर्शन और दिखावे का कोई स्थान नहीं था। उनके हृदय में दलित लोगों के लिए विशेष स्थान था और वे चाहते थे की सबको सम्मान और मानव होने का अधिकार मिले। इश्वर के सबंध में कबीर की स्पष्ट मान्यता थी की पूजा और आराधना आत्मिक और मन से हो। दिखावा और आडम्बर में उनका विश्वास नहीं था। मध्यकाल के समय में कबीर समाज का एक ऐसा मोडल प्रस्तुत करते हैं जिसमे सभी जन समान हो, जातीय भेदभाव ना हो और कर्मकांड, पाखंड मुक्त सहज और सरल हो। कुरीतियों और बाह्याचार को कबीर ने सरल भाषा में समझाया और दैनिक जन जीवन से सबंधित उदाहरणों के माध्यम से लोगों को समझाया। शास्त्रीय भाषा के स्थान पर कबीर ने आम बोल चाल की भाषा को उपयोग में लिया जो सर्व ग्राह्य थी।

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