History, asked by shubhdrasahu637, 6 months ago

कबीर की उल्टा बसी का क्या तात्पर्य है कोई तीन उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिए​

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Answered by akankshakamble6
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Answer:

सीधे-सीधे न कहकर, घुमा-फिराकर उलटकर कविता माध्यम से कही हुई बात अथवा व्यंजना उलटवाँसी कहलाती है। संतों और विशेष रूप से कबीर ने अनेक उलटवाँसियों की रचना की है जिन्हें लेकर ऐतिहासिक दृष्टि तथा संतमानस की ठीक ठीक समझ के अभाव के कारण न केवल भारी भ्रम फैला है, अपितु काफी विवाद भी हुआ है।

Answered by idhehfirbjrowpppqpok
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Answer:

सीधे-सीधे न कहकर, घुमा-फिराकर उलटकर कविता माध्यम से कही हुई बात अथवा व्यंजना उलटवाँसी कहलाती है। संतों और विशेष रूप से कबीर ने अनेक उलटवाँसियों की रचना की है जिन्हें लेकर ऐतिहासिक दृष्टि तथा संतमानस की ठीक ठीक समझ के अभाव के कारण न केवल भारी भ्रम फैला है, अपितु काफी विवाद भी हुआ है!

Explanation:

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