History, asked by kajalpaikra3, 3 months ago

कबीर की उलटबांसी रचनाओं का क्या तात्पर्य है कोई तीन उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए ye kon se pat ka h

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Answered by useraj737
7

Answer:

I don't know Kya ho kya raha hai yaha answer pane ke liye answer Dena hoga

Answered by mapooja789
0

Given : कबीर की उलटबांसी रचनाओं

Answer:

कबीर की उलटबांसी ऐसे कथन जो अपने मूल भाव या वाच्यार्थ के उलट प्रतीत हो | यह शैली कथन की प्रतीकात्मक है | इसमें निहित प्रतीक स्पष्ट होते ही कथन का वास्तविक अर्थ समझ आ जाता है। यह नाथ परम्परा में प्रयुक्त सन्धा भाषा ही विकसित रूप है

सन्धा भाषा वस्तुतः विपरीत अनुभवों को व्यक्त करने की शैली है। जैसे:

कबीर दास की उललीबानी बरसे कम्बल भीजे प्रानी'

कबीर दास की उललीबानी बरसे कम्बल भीजे प्रानी'उलटबासियों का प्रयोग क्यों किया जाता है :-

नाथ योगियों की अन्तःस्सधानात्मक अनुभूतियों को प्रतीकात्मक शैली में व्यक्त करने के लिए |

हठयोग परंपरा में माना जाता है कि कठोर साधना से इंद्रियों का स्वभाव पलट जाता है जब इंद्रियों का स्वभाव विपरीतक्योंकि साधारण भाषा अनुभव से बनती है न की विशिष्ट अनुभव से ।

इसी कारण से प्रतीकात्मकका प्रयोग किया जाता है

उदाहरण मैया विच नदिया डूबती जाए | यहां जैया ज्ञान का प्रतीक है जबकि नदिया इन्द्रिय विषय वासना का प्रतीक है

उदाहरण ;

समंदर लागी आगी नदिया जलोला भई, देखी जाएगी मछिड़ी गई

यहां पर समंदर का अर्थ मूलाधार चक्र से किया गया है, आग का अर्थ जान की आग से नदिया जलने का इला और पिंगला नाही

भस्म होने से कुंडलीनी रूपी मछली सुषुम्ना नाड़ी के माध्यम से सहस्वार रूपी वृक्ष पर चढ़ गई ।

प्रभाव: प्रसाद गुण कमजोर होता है और निरर्थक जटिलताएं होती है

#SPJ2

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