कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?
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कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है? कबीर ने स्वयं को दीवाना इसलिए कहा है, क्योंकि वह निर्भय है। उसे किसी का कुछ भी कहना व्यापता नहीं है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचानता है।
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कबीर ने स्वयं को दीवाना कहा है क्योंकि वह निर्भय है। उन्हें ईश्वर के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान है।
- कबीर कहते है कि वे किसी से नहीं डरते केवल उस परमपिता परमात्मा से डरते है।
- कबीर कहते है कि जो ईश्वर के सच्चे भक्त होते है वे दीवाने होते है इसलिए स्वयं को भी उन्होंने दीवाना कहा है।
- वे ईश्वर के वास्तविक स्वरूप से भली - भांति परिचित है।
- संसार में उन्हें किसी चीज का लोभ नहीं व वे स्वयं को माया में नहीं झकडे रखना चाहते।
- कबीर कहते है कि मनुष्य को बाहरी आडंबरों का अनुसरण करने की अपेक्षा प्रभु का सच्ची भक्ति करनी चाहिए।
- वे कहते है कि परमात्मा उस सृष्टि के कण कण में व्याप्त है।
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