कबीर ने हिंदुओं और मुसालमानों किन आडंबरों और कुरीतियों की निंदा की है?
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कबीर ने मूर्ति पूजा की भी कड़े शब्दों में निंदा की है। अगर पत्थर पूजने से भगवान मिलता है तो मैं तो पूरे पहाड़ को ही पूजने लग जाऊंगा।
“ कबीर पाथर पूजे हरि मिलै, तो मैं पूजूँ पहार।
कबीर पाथर पूजे हरि मिलै, तो मैं पूजूँ पहार।घर की चाकी कोउ न पूजै, जा पीसा खाए संसार।। ” 4
कबीर जी हिंसा का विरोध करते हैं। एक जीव दूसरे जीव को खाता है तो कबीर को बहुत ही टीस होती है। वे उन्हें समझाते हुए कहते हैं -
बकरी पाती खात है, ताकी काठी खाल,
बकरी पाती खात है, ताकी काठी खाल,जो नर बकरी खात है, तिनको कौन हवाल।
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Jai Hind
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