कबीर ने ईश्वर के कितने रूपों को जाना है?
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कबीर जी ने ईश्वर के अद्वैत रूप को जाना है।
कबीर की दृष्टि में ईश्वर सर्वव्यापक है। कबीर जी ने कहा है कि ईश्वर सभी के हृदय में आत्मा के रूप में व्याप्त है।
कबीर जी कहते हैं कि मैंने ईश्वर के अद्वैत रूप को पहचाना है।कुछ लोग ईश्वर के अलग-अलग रूपों को मानते हैं वह आत्मा और परमात्मा को अलग-अलग मानते हैं। किंतु वास्तविकता को कोई भी नहीं जानता। कबीर जी कहते हैं कि ईश्वर का स्वरूप अविनाशी है। अर्थात कबीर कहते हैं कि ईश्वर अमर-अजर है।
जैसा कि हम सभी को पता है कि कबीर जी निर्गुण ईश्वर के उपासक हैं।साथ ही कबीर जी का कहना है कि इस सृष्टि में ईश्वर पहले भी वही था और आज भी वही है और इस सृष्टि के बाद भी वह एकमात्र ईश्वर होगा। किंतु ईश्वर कभी किसी को महसूस नहीं होता है। ईश्वर को महसूस करने के लिए मनुष्य का आत्मवान होना आवश्यक है।
कबीर जी कहते हैं कि ईश्वर अमर अजर है। तात्पर्य है कि वह जिसका कोई अंत नहीं होता वही इस सृष्टि का एकमात्र ईश्वर है।
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