कबीर ने कैसे हाथी पर सवारी करने की बात कही है ?
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संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि तो हाथी पर चढ़कर अपने ऊपर चंवर डुलवाते हैं और लोग समझते हैं कि वह सुख भोग रहे तो यह उनका भ्रम है वह तो अपने अभिमान के कारण सीधे नरक में जाते हैं।
कभी कभी तो लगता है कि जनकल्याण का नारा देने वाले लोग बड़े पद पर प्रतिष्ठत हो गये हैं पर लगता नहीं कि उनके पास अपनी मति है क्योंकि वह दूसरों की राय लेकर काम करने आदी हो गये हैं। ऐसे लोगों के लिये कल्याण तो बस दिखावा है वह तो उसके नाम पर सुख तथा एश्वर्य प्राप्त करने में ही अपने को धन्य समझते हैं। ऐसे कथित धर्म के सौदागर बहुत दिखाई देते हैं जिनका न तो स्वयं का ज्ञान प्रमाणिक होता है और न ही वह ही वह लोभ और लालच की प्रवृत्ति से परे रहते हैं। उनकी शरण लेने से मनुष्य का न तो उद्धार होता है और न मन का संताप दूर होता है। इसलिए न केवल धन संपदा के मोह से बल्कि उनको प्राप्त करने वाले बड़े लोगों को लेकर कोइ भ्रम अपने अन्दर नहीं रखना चाहिये।