कबीर ने मनुष्य के लिए कर्म को दिखावा या पाखंड पूर्ण भक्ति को कहां है
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कबीरदास जी ने सांसारिक प्राणियो को ज्ञान का उपदेश देते हुए कहा है की जो मनुष्य गुरु को ... जिस तरह घडे को सुंदर बनाने के लिए अंदर हाथ डालकर बाहर से थाप मारता है ठीक उसी प्रकार शिष्य ... गुरु कि आज्ञा का पालन सदैव पूर्ण भक्ति एवम् श्रद्धा से करने वाले जीव को संपूर्ण ... कबीर दास जी कहते है कि आशक्ति के वश में होकर जीव जो कर्म करता है उसका फल भी उसे भोगना
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