Hindi, asked by bikramprasad991, 5 months ago

कबीर ने प्रेमरूपी ढाई अक्षर को अनेक पुस्तकें पढ़ने से श्रेष्ठ क्यों बताया है?​

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Answered by dhruvi3166
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Answer:

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय. गुरु महाराज कबीर साहिब कहतें हैं कि पुस्तकें पढ़कर ज्ञान हासिल किया जा सकता है,परन्तु व्यक्ति सिर्फ पुस्तकें पढ़कर ईश्वर का साक्षात्कार नहीं प्राप्त कर सकता है.जब तक ईश्वर का साक्षात्कार न प्राप्त हो जाये तब तक किसी व्यक्ति को पंडित या ज्ञानी नही माना जा सकता है.अनगिनत लोग जीवन भर ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करते हुए संसार से विदा हो गये परन्तु कोई पंडित या ज्ञानी नहीं हो पाया क्योंकि ईश्वर का साक्षात्कार वे अपने जीवन में ईश्वर का साक्षात्कार नहीं कर पाए.गुरु महाराज कहते हैं कि ढाई अक्षर का एक शब्द है-”प्रेम”,जो उसको पढ़ लिया यानि परमात्मा से जिन्हें प्रेम हुआ और उसका दर्शन पा लिए वही वास्तव में पंडित हैं.

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