Hindi, asked by sureshaggarwal4598, 11 months ago

कबीर निर्गुण संत परंपरा के कवि हैं और यह पद (बालम आवो हमारे गेह रे) साकार प्रेम की ओर संकेत करता है। इस संबंध में आप अपने विचार लिखिए।

Answers

Answered by sarojk1219
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कबीर निर्गुण संत परंपरा के कवि हैं और यह पद (बालम आवो हमारे हाथों रे) साकर प्रेम की ओर संकेत करता है

Explanation:

" 1) कबीर निर्गुण संत परंपरा के कवि हैं और यह पद (बालम आवो हमारे हाथों रे) साकर प्रेम की ओर संकेत करता है। यह ऐसा नहीं है। कबीर मूर्ति पूजा के खिलाफ हैं। लेकिन वह प्रेम, समाज संबंधों आदि में विश्वास करते हैं।

2) वह जानता है कि प्रेम का कोई आकार नहीं है। प्यार केवल एक एहसास है जो अपने प्रेमी को एक खुशी देता है। उसी तरह भक्ति भी एक भावना है जो भावना अपने भक्त को दे रही है।

3) इस पंक्तियों में भक्त अपने भगवान की झलक पाने का मार्ग देख रहा है। इसलिए कबीर अपने देवता का मुख देखने वाले हैं। यह भक्ति की भावना है। तो कबीर भी निर्गुण संत परंपरा से कवि हैं।"

Answered by prakashomsharma1966
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Explanation:

कबीर निर्गुण संत परंपरा के कवि हैं। वे ईश्वर के मूर्ति रूप को नहीं मानते हैं परन्तु सांसारिक संबंधों को अवश्य मानते हैं। प्रेम में उनका अटूट विश्वास है। प्रेम कभी साकार या निराकार नहीं होता। वह बस प्रेम है। एक भावना है, जो मनुष्य को असीम आनंद की प्राप्ति देता है। अतः वह बालम आवो हमारे गेह रे में वह अपने ईश्वर को प्रेमी या पति के रूप में लेते हैं। अतः वह प्रतीत तो साकार प्रेम की तरह होता है लेकिन सत्य यह है कि वह निर्गुण रूप ही है।

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