कबीर निर्गुण संत परंपरा के कवि है यह पद बालम आवे हमारे गेह रे साकार प्रेम की और संकेत करता है/इस संबंध में आप अपने विचार लिकिए
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देख नहीं पाता मैं माँ के नयनों की जलधार।
मेरा हृदय हिला देती है उसकी करुण पुकार।। (काव्य पंक्तियों में निहित रस का
नाम लिखे)
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