कबीर ने शरीर के लिए किस प्रतीक का प्रयोग किया है
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कबीर ने शरीर के लिए लकड़ी के प्रतीक का प्रयोग किया है। ॉ
कबीर ने शरीर को लकड़ी के समान माना है। कबीर अपने दोहे के माध्यम से कहते हैं कि जिस तरह बढ़ाई लकड़ी को काट तो सकता है, लेकिन लकड़ी में मौजूद अग्नि को खत्म नहीं कर सकता। उसी तरह शरीर भले ही नष्ट हो जाए, लेकिन शरीर के अंदर निहित आत्मा अमर है। उसको कोई नष्ट नहीं कर सकता और वह आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है। इस तरह मनुष्य की आत्मा में ही परमात्मा यानी ईश्वर का वास होता है।
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