कबीर पल की सुधि नहीं, करै काल्हि का साज ।
काल अच्यंता झड़पसी, ज्यूँ तीतर को बाज ।।१०।।
meaning of these doha
Answers
Explanation:
कबीर पल की सुधि नहीं, करै काल्हि का साज
काल अचिंता झड़पसी, ज्यौं तीतर कौं बाज
( एक पल का भरोसा नहीं है और तू कल की योजनाएँ बनाता है ! काल तुझ निश्चिन्त / असावधान पर वैसे ही झपट्टा मारेगा, जैसे अचानक बाज पक्षी तीतर का शिकार करता है )
पाव पलक की सुधि नहिं, करै काल्ह का साज।
काल अचानक मारसी, ज्यों तीतर कौं बाज।।
भावार्थ : कबीरदास कहते हैं कि आने वाले कल के लिए अपना वर्तमान आज खराब मत करो। यहाँ जीवन अनिश्चित है। यहाँ पर पल भर का भरोसा नहीं कि पल भर में क्या से क्या हो जाए और ऐसे में भविष्य की योजना बनाना मूर्खता है। इसीलिए भविष्य की चिंता छोड़कर आज में जियो।
जैसे तीतर को अचानक बाज मार डालता है। यह कार्य पल भर में हो जाता है, वैसे ही ना जाने तुम भी कब काल के ग्रास बन जाओ। पल भर का भरोसा नहीं। इसलिए अपने भविष्य की चिंता छोड़ आज में जियो और जो अच्छे कार्य करने हैं कर डालो।
#SPJ3