कबीर सुमिरण सार है और संकल्प।। आदि अति सब सोधिया,दूजा देखो काल ।।। तू तू करता तू भया , मुझ में रही न हूं । वारी फेरी बलि गई ,जित देखो तित तू। answer
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कबीर सुमिरण सार है और संकल्प।।
कबीर सुमिरण सार है और संकल्प।। आदि अति सब सोधिया,दूजा देखो काल ।
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अर्थ :- संत कबीर जी कहते है की प्रभु का ध्यान सुमिरन, भजन, कीर्तन और आत्म चिन्तन ही परम सत्य है, बाकी सब झूठा है। आदि अन्त और मध्य के विषय में विचार करके सब देख लिया है। सुमिरन के अतिरिक्त बाकी सब काल के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं।
तू तू करता तू भया , मुझ में रही न हूं ।
तू तू करता तू भया , मुझ में रही न हूं । वारी फेरी बलि गई ,जित देखो तित तू।
अर्थ:-संत कबीर कहते हैं कि मुझमें अहंभाव समाप्त हो गया। मैं पूर्ण रूप से तेरे ऊपर न्यौछावर हो गया हूँ और अब जिधर देखता हूँ, उधर तू ही तू दिखलाई देता है अर्थात् सारा जगत् ब्रह्ममय हो गया है।
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