'कबीर दोहावली 'के आधार पर बताएँ कि कबीर ने समय के सदुपयोग पर क्या संदेश दिया है? *.
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गुरु सो ज्ञान जु लीजिये, सीस दीजये दान।
बहुतक भोंदू बहि गये, सखि जीव अभिमान॥१॥
व्याख्या: अपने सिर की भेंट देकर गुरु से ज्ञान प्राप्त करो | परन्तु यह सीख न मानकर और तन, धनादि का अभिमान धारण कर कितने ही मूर्ख संसार से बह गये, गुरुपद - पोत में न लगे।
गुरु की आज्ञा आवै, गुरु की आज्ञा जाय।
कहैं कबीर सो संत हैं, आवागमन नशाय॥२॥
व्याख्या: व्यवहार में भी साधु को गुरु की आज्ञानुसार ही आना - जाना चाहिए | सद् गुरु कहते हैं कि संत वही है जो जन्म - मरण से पार होने के लिए साधना करता है |
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Explanation:
Agar ham samay ka sadupyog karege to ham apne bhavisya m kuch bada kar payenga aur safalta hasil kar payenge. Samay ek trah se dhan hi hota h jise hame bacha kar rakhna chaiye. Kabeer ji badi spasththa k sath kehte h ki samay ka sadupyog karna chaiye
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